Tuesday 13 September 2011

आजकल के रिश्तों में, ज़िन्दगी नहीं मिलती - -नित्यानंद `तुषार`

प्रारंभ प्रकाशन, गाज़ियाबाद द्वारा प्रकाशित
साहित्यिक पत्रिका `युग वंशिका` में प्रकाशित ग़ज़लों में से
कुछ पंक्तियाँ आपके लिये

दोस्त हर क़दम पर हैं ,दोस्ती नहीं मिलती
आजकल के रिश्तों में, ज़िन्दगी नहीं मिलती  - -नित्यानंद `तुषार`
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तेरी आँखों ने कुछ देखा नहीं है
ज़माने में कोई अपना नहीं है - -नित्यानंद `तुषार`
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घर पे हमारे नाम की तख्ती नहीं लगी
शोहरत की शक्ल ही हमें अच्छी नहीं लगी - -सरदार  आसिफ
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उसको तबाह होना था आसार थे बहुत
उस सरफिरे कबीले के सरदार थे बहुत  - -सरदार आसिफ
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क़दमके साथ ज़मीं सर पे आसमाँ क्यूँ है
जहाँ जहाँ जो रखा है वहाँ वहाँ क्यूँ है  - -निदा फ़ाज़ली
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ख़ुदा  को ढूँढने वाले ख़ुदा के आस्तानों में
उसे बेचा ख़रीदा जा रहा है अब दुकानों में   - -निदा फ़ाज़ली

महकते ख़्वाब खयालों की रौशनी मिलती
हमें भी काश मुहब्बत की ज़िन्दगी मिलती  - - देवमणि पाण्डेय
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जो मिलें प्यार में फिर न बिछडें कभी
मेरे दिल की यही इतनी फ़रियाद है - -देवमणि पाण्डेय
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जाने हमको ये मुलाक़ात कहाँ ले जाए
बातों -बातों में कोई बात कहाँ ले जाए  - -कैसर -उल -जाफ़री
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चांदनी के डूबते ही घर में क्या रह जायेगा 
तुम चले जाओगे दरवाज़ा खुला रह जायेगा -  -  कैसर -उल -जाफ़री

प्रस्तुति -  - यश

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